मैं कहीं वो वक़्त रख कर भूल गया
मैं कहीं वो वक़्त रख कर भूल गया
अपने काम में इतना मसरूफ हो गया
कि मैं सब कुछ भूल गया
कमरे के हर कोने में, ढूंढ लिया
ऊपर, नीचे, उस अलमारी में
गद्दों के नीचे, तकियों के किनारे
लिहाफ की तह में, मेज़ों की दराज़ में
हर जगह जो पहले ढूंढा था,
इतने दिनों के बाद, तोड़ दिया यादों का ताला
जब हर तरफ तुम ना मिले, तो
बड़ी हसरत से फिर ढूंढा,
और उस किताब को डरते हुए खोला,
तो शुक्र खुदा का, वो वक़्त अब मिल गया।
पर अब, जब ढूंढ चुका हूँ सब कुछ
वो लम्हा, वो पल, जो तुम्हारे साथ था
खुद को भी पहचान पाना मुश्किल हो गया
दिल की ज़मीन पे छुप गया है एक खोया हुआ रास्ता
जिसे ढूंढने की कोशिश में
और ज़्यादा खो गया हूँ मैं
तुम्हारा चेहरा अब धुंधला सा लगता है
लेकिन, ये याद रखना,
तुम्हारी खामोशी में
मेरी ढूंढ हर पल ज़िंदा है।
मेरी आँखों में तुम्हारा पर्चा सा छुपा है
जब भी खुलने की कोशिश की, खुद को ही ढूंढा
क्या तुम जाने हो कि तुमसे पहले
वक़्त की बातें हम सब भूल गए
फिर भी, उस रात के ख़्वाब की नर्मी
मुझे उस ढूंढते वक़्त के पास ले आती है
अब समझ आता है, तुम्हारे बिना
हर कुछ था, मगर कुछ नहीं था।
____________________________
- मसरूफ - Busy
- कोने - Corners
- अलमारी - Cupboard
- गद्दों - Mattresses
- तकियों - Pillows
- किनारे - Edges
- लिहाफ - Blanket
- तह - Fold
- मेज़ - Table
- दराज़ - Drawer
- हसरत - Longing
- ताला - Lock
- डरते - Fearfully
- शुक्र - Gratitude
- लम्हा - Moment
- पल - Instant
- पहचान - Recognition
- ज़मीन - Land
- छुप - Hidden
- रास्ता - Path
- धुंधला - Blurred
- खामोशी - Silence
- जिंदा - Alive
- पर्चा - Piece of Paper
- नर्मी - Softness
- ख़्वाब - Dreams